बैंक चेक बाउंस मामले में High Court का सख्त फैसला, भुगतने होंगे गंभीर परिणाम
My job alarm - Delhi high Court : चेक के जरिए पैसों का भुगतान करना इन दिनों आम बात हो गई है। चेक से बड़ी से बड़ी पेमेंट आसानी से हो जाती है। लेकिन आपको इसके संबंधित नियमों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक (cheque payment rules) है। चेक अगर बाउंस हो जाता है तो उसे एक अपराध माना जाता है। इसी से जुड़े एक मामले पर अब हाईकोर्ट ने एक सख्त फैसला (high court decision) लिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चेक बाउंस से जुड़े एक मामले में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi high Court) ने सख्त आदेश दिया है।
चेक बाउंस के इस मामले पर न्यायमूर्ति (high court justice) रजनीश भटनागर की पीठ ने ये कहा कि अगर नोटिस जारी करने और अवसर देने के बावजूद भी भुगतान नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पीठ ने कहा कि ऐसा व्यक्ति आपराधिक मुकदमे (criminal cases) का सामना करने के लिए बाध्य है। उनके द्वारा उक्त टिप्पणी व आदेश एक पुनरीक्षण याचिका पर विचार करते हुए दिया।
यह है पूरा मामला
सबसे पहले तो आपको मामले के बारे में पूरी जानकारी होना बेहद आवश्यक है। मामले के अनुसार, याचिकाकर्ता संजय गुप्ता ने कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) से 4.80 लाख रुपये का एक महीने के लिए लोन लिया था। इसके बदले संजय ने बैंक के नाम पर चेक दिया था। बैंक ने जब चेक भुगतान (cheque payment) के लिए लगाया तो उसमें राशि उपलब्ध नहीं थी। बैंक ने 15 दिन में उक्त चेक का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया, लेकिन याची ने भुगतान नहीं किया। इसके बाद बैंक (bank news) ने मामला दर्ज कराया था। चेक बाउंस होने का ये मामला एक अपराध है।
हाईकोर्ट के फैसला
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता संजय गुप्ता ने उन्हें दोषी ठहराए जाने से जुड़े मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (metropolitan magistrate) के 2019 को आदेश को रद करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। इसके अलावा इसके पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने 26 मार्च 2021 को एमएम के निर्णय (MM's decision) को बरकरार रखा था। मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराते हुए 3 महीने की साधारण सजा सुनाते हुए 7 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। उक्त धनराशि शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में भुगतान करनी थी। साथ ही यह भी आदेश दिया कि 4 महीने के अंदर जुर्माना (penalty on cheque bounce) राशि नहीं देने पर 3 महीने की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
अब बात करें हाईकोर्ट के फैसले (high court verdict) की तो हाई कोर्ट की पीठ ने नोट किया कि याची ने विवादित चेक को लेकर अलग रुख अपनाते हुए दावा किया था कि उक्त चेक खो गया था और उसने वर्ष 2014 में एक शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। हालांकि शिकायत से जुड़ा रिकार्ड वह अदालत में पेश नहीं कर सका।
कोर्ट के द्वारा ये भी नोट किया गया कि याची ने न तो संबंधित बैंक को खोने वाले चेक के बारे में सूचित किया और न ही बैंक से उक्त चेक के भुगतान को रोकने का अनुरोध (Request to stop payment of check) किया। पीठ ने कहा कि ऐसे में निचली अदालत के निर्णय में कोई कमी नहीं है और इसे बरकरार रखते याचिका खारिज की जाती है।