लोन लेने वाले आम आदमी को High Court ने दी बड़ी राहत, बैंकों के बांधे हाथ
My job alarm (High Court Ruling for Loan): हर कोई अपने पैसों से संबंधित जरूरतों को पूरा करने के लिए लोन का सहारा लेता है। लोन से एक बार तो बड़ी मुश्किल का हल निकल आता है। लेकिन बाद में कई बार यही लोन सिर दर्द का कारण बन जाता है। हाल ही में बैंक से लोन (Bank Loan) लेने वालों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है।
लोन वाले एक मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट (High Court Decision) ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि लोन की वसूली के लिए बैंक कर्जधारक के साथ मनमानी नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने बैंकों को निर्देश (Court decision for banks) दिया है कि व्यक्ति के मूल अधिकारों की रक्षा करना कानून का काम है और कर्ज की वसूली करते समय इस बात का ध्यान दिया जाए कि किसी भी व्यक्ति के मूल अधिकारों का अतिक्रमण न होने पाए।
जान लें क्या है पूरा मामला
पूरे मामले के अनुसार आरोपी बनी कंपनी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank of India) से 69 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसका गारंटर कंपनी का पूर्व निदेशक था। उसके बाद में वह कंपनी छोड़कर दूसरी जगह चला गया। उसके बाद कंपनी के कर्ज नहीं चुका पाने पर बैंक ने तमाम तरह की आपराधिक कार्रवाई (Bank's action on failure to repay loan) शुरू कर दी और पूर्व निदेशक के खिलाफ भी लुक आउट सर्कुलर (cirular for banks) जारी कर दिया।
इस पर बैंक ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि जब तक कोई आपराधिक मामला न बनता हो, सिर्फ कर्ज वसूली के लिए लुक आउट सर्कुलर (look out circular on loan holder) नहीं जारी किया जा सकता है।
पूरे मामले को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले (highcourt decision) में कहा कि अगर पैसों की हेराफेरी या धोखधड़ी का मामला नहीं है तो सिर्फ कर्ज वसूली के लिए बैंक किसी व्यक्ति के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी नहीं कर सकते हैं। इतना ही नही, इसके अलावा भी फैसले के साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी के पूर्व निदेशक के खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को भी रद्द कर दिया है। निदेशक इस कंपनी के लोन के गारंटर (loan guranter) थे और कंपनी अपना कर्ज चुकाने में नाकाम रही है।
मूल अधिकारों का हनन
मामले के सुनवाई करते वक्त हाई कोर्ट (high court verdict) ने कहा, किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के बिना विदेश जाने से रोकना उसके मूल अधिकारों का हनन करना है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद (Justice Subramaniam Prasad) ने इस पर अपने फैसले में कहा, लुक आउट सर्कुलर (bank circular) को बल प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस केस में न तो आरोपी के खिलाफ के कोई आपराधिक मामला बनता है और न ही गबन को कोई आरोप है।
बैंक ने की अपनी मनमानी
इस मामले में पूरी तरह यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने पूरी तरह अपनी मनमानी करते हुए कंपनी और उसके पूर्व निदेशक के खिलाफ दिवालियापन सहित तमाम कानून के तहत कदम (Bankruptcy law steps against former director) उठा लिए थे। हाई कोर्ट (high court) ने इन सभी मामले को भी खारिज कर दिया और बैंक की ओर से लुक आउट सर्कुलर को रद्द करते हुए आरोपी पूर्व निदेशक को विदेश जाने की इजाजत भी दे दी।