My job alarm

लिव इन रिलेशनशीप पर High Court का बड़ा फैसला, पति को छोड़ने वाली महिला को झटका

High Court - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि शादीशुदा महिला और उसके प्रेमी की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर अवैध संबंधों को पुलिस सुरक्षा नहीं दी जा सकती है। कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को विस्तार से जानने के लिए खबर को पूरा पढ़े। 

 | 
लिव इन रिलेशनशीप पर High Court का बड़ा फैसला, पति को छोड़ने वाली महिला को झटका

My job alarm - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शादीशुदा महिला और उसके प्रेमी को पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। महिला ने अपने पति को छोड़कर प्रेमी के साथ रहने का फैसला किया था और इसी मामले में उन्होंने सुरक्षा की मांग की थी।


कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है, लेकिन अवैध संबंधों का समर्थन नहीं कर सकता। कोर्ट ने टिप्पणी की कि सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाले अवैध रिश्तों को कानूनी संरक्षण देना सही नहीं होगा। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादीशुदा व्यक्ति का किसी और के साथ रिश्ता अवैध माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि समाज और कानून के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।


कोर्ट ने कहा कि अवैध संबंध रखने वाले को सुरक्षा देने का अर्थ है कि अवैध लिव-इन रिलेशनशिप को स्वीकार करना है। इसी के साथ कोर्ट ने दूसरे पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही शादीशुदा पत्नी याची की अपने पति से सुरक्षा खतरे की आशंका पर सुरक्षा की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।


यह आदेश जस्टिस रेनू अग्रवाल ने प्रयागराज की सुनीता और अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में महिला ने कहा था कि वह 37 साल की बालिग है और पति के दुर्व्यवहार से परेशान होकर स्वेच्छा से दूसरे व्यक्ति के साथ शांतिपूर्ण जीवन जी रही है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि वह लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध नहीं करता, लेकिन शादीशुदा व्यक्ति का किसी और के साथ संबंध अवैध है। समाज और कानून के मूल्यों को बनाए रखने के लिए ऐसे रिश्तों को कानूनी संरक्षण नहीं दिया जा सकता।


पति उसके शांतिपूर्ण जीवन को खतरे में डालने की कोशिश कर रहा है। उसे सुरक्षा प्रदान की जाए। दोनों के खिलाफ कोई आपराधिक केस नहीं है और न ही इस मामले में कोई केस दर्ज है। सरकार की तरफ से कहा गया कि याची पराए पुरुष के साथ अवैध रूप से लिव-इन में रह रही है। वह शादीशुदा हैं। उनका अभी तलाक नहीं हुआ है।

उनका पति जीवित है। कोर्ट ने पहले भी इस तरह के मामले में सुरक्षा देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची को संरक्षण नहीं दिया जा सकता, क्योंकि कल को याचिकाकर्ता यह कह सकते हैं कि कोर्ट ने उनके अवैध संबंधों को मान्यता दे दी है। पुलिस को उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे अवैध संबंधों को हमारी सहमति मानी जाएगी। 


विवाह की पवित्रता में तलाक पहले से ही शामिल है। यदि याची को अपने पति के साथ कोई मतभेद है तो उसे लागू कानून के अनुसार सबसे पहले अपने पति या पत्नी से अलग होने के लिए आगे बढना होगा। पति के रहते पत्नी को पराए पुरुष के साथ अवैध संबंध में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now