High Court : क्या माता-पिता की प्रोपर्टी पर जबरन कब्जा करने वाले बेटे को कर सकते हैं बेदखल, जानिये हाईकोर्ट का अहम निर्णय
Forcible possession of property : हाल ही में प्रोपर्टी विवाद का एक मामला सामने आया है जिसमें कि अपने ही पुत्र के द्वारा पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जे की बात सामने आ रही है। इसी पर कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है। तो आप भी जान लें कि क्या माता पिता की प्रोपर्टी पर जबरन कब्जा (property possession punishment) करने वाले बेटे को बेदखल किया जा सकता है या नही। चेक करें हाईकोर्ट के इस फैसले के लेटेस्ट अपडेट..
My job alarm (ब्यूरो) - हर रोज आपको नए-नए संपत्ति विवाद (property dispute) के मामलों के बारे में सुनने और पढ़ने को मिल ही जाता है। हमारे देश में हर दूसरे दिन संपत्ति को लेकर विवाद चलता रहता है। कोर्ट में भी कई ऐसे केस है जो अभी तक पेंडिंग ही पड़े है क्योंकि उनका निपटारा होने के आसार ही नजर नही आते है।
हाल ही में पटना हाईकोर्ट (Patna High Court decision) ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि माता-पिता की संपत्ति पर जबरन कब्जा करने वाले बागी बेटे को वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून (Senior Citizens Protection Act in India) के प्रावधानों के तहत बेदखल नहीं किया जा सकता है।
लेकिन ऐसा नही है उन्हे बिनकुल ही छूट दी रही है। कोर्ट के फैसले के अनुसार शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले बागी बेटे द्वारा मासिक रखरखाव के रूप में उस संपत्ति का किराया (property rent to parents) देना होगा जिस पर उसने जबरन कब्जा किया हुआ है। वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत बेदखली के लिए ट्रिब्यूनल के पहले के आदेश और साथ ही एकल न्यायाधीश के फैसले को रद्द करते हुए, हाईकोर्ट ने मामले को जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate cases), पटना को भेज दिया, जिसे उचित किराए के बारे में जांच करने का निर्देश दिया गया।
क्या था मामला
इस पूरे मामले की जानकारी के लिए आपको बता दें कि कब्जे के इस केस में शिकायतकर्ता आरपी रॉय, जो राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन के पास एक गेस्ट हाउस के मालिक हैं, उसने ये दावा किया था कि उनके सबसे छोटे बेटे और अपीलकर्ता रवि ने उनके गेस्ट हाउस के 3 कमरों पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया (Senior Citizens Act for eviction) है। खासकर, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गई शिकायत में उक्त संपत्ति के अवैध कब्जेदार के रूप में रवि की पत्नी का नाम भी शामिल है।
कोर्ट ने दे दिया ये आदेश-
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम (Maintenance and Welfare of Senior Citizens Act) के तहत कोर्ट ने भी इस मातले पर अपना अहम फैसला दे दिया है। इस मामले के तहत किराया अपीलकर्ताओं के कब्जे वाले 3 कमरों का होगा और अपीलकर्ताओं को नियमित प्रेषण के माध्यम से भुगतान करने का निर्देश देने वाला एक आदेश भी पारित किया जाएगा।
इस पर पटना हाईकोर्ट ने पीड़ित माता-पिता को संबंधित संपत्ति से कब्जेदारों की बेदखली (Eviction of occupants from property?) सुनिश्चित करने के लिए एक सक्षम अदालत से संपर्क करने की स्वतंत्रता भी दी है। ये फैसला मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थसारथी की खंडपीठ ने रविशंकर नाम के शख्स की अपील का निपटारा करते हुए सुनाया है।