FASTAG की छुट्टी, अब चलेगा सैटेलाइट टोल सिस्टम, जानिये कैसे कटेगा टोल टैक्स
New Toll Systum : एनएचएआई के द्वारा टोल सिस्टम में बदलाव की लहर जाई जा रही है। सबसे पहले कैश द्वारा टोल टैक्स काटा जाता था। फिर फास्टैग सिस्टम वर्किंग में आया और अब जल्द ही फास्टैग की भी छुट्टी करने की योजना चल रही है। हाईवे के हालातों को देखते हुए नए सिस्टम की सख्त जरूरत भी महसूस की जा रही है। जी हां, सैटेलाइट टोल सिस्टम (satellite toll system) की योजना अब जल्द ही शुरू करने का प्लान चल रहा है। अब सैटेलाइट के जरिए टोल कटेगा आइए जान लें कैसे....

My job alarm - (GNSS toll systum) अगर आपने नेशनल हाईवे पर सफर किया है तो आपको टोल प्लाजा और वहां कटने वाले टोल टैक्स के बारे में पूरी जानकारी होगी ही लेकिन फिर भी आपको बता दें कि नेशनल हाईवे पर हर 60 km की दूरी पर टोल प्लाजा होते है। हर एक शहर से दूसरें शहर की सीमा में प्रवेश करने से पहले टोल टैक्स का भुगतान (payment of toll tax) करना होता है। टोल टैक्स कटने का प्रोसेस वैसे तो FASTAG के आने से काफी आसान हो गया है लेकिन अभी भी टोल प्लाजा पर ट्रैफिक की स्थिति रहती ही है। इसे का निपटारा करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री (Union Road Transport Minister) ने नए ऐलान किए है।
इन दिनों नया टोल सिस्टम काफी चर्चा में चल रहा है। सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम (Satellite Based Toll System) के बारे में लगभग सबको पता है। अगर आप इस बारे में नही भी जानते है तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि आज हम आपको इस के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। इसकी मदद से आपके लिए ये समझना तो आसान होने वाला है कि आखिर ये पूरा सिस्टम वर्क कैसे (how Satellite Based Toll System work?) करेगा। अब लोगों के मन में सवाल होगा कि सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम आने के बाद क्या फास्टैग बंद हो जाएगा ? आज हम ऐसे ही सभी सवाल के जवाब देने वाले है, लेकिन उससे पहले आपके लिए कुछ जानकारी हासिल करना जरूरी है। आइए जान लें...
कैसे काम करेंगा सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम?
आपने अकसर देखा होगा कि टोल पर कई बार लंबी कतारें लगी होती है जिससे कि यात्रियों का काफी समय नष्ट हो जाता है। इसी से छुटकारा पाने के लिए नीतिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम को हरी झंडी दे दी गई है। आपको इस सिस्टम के बारे में ज्यादा जानकारी नही है तो आपको समझाने के लिए आसान शब्दों में बता दें कि ये एक ऐसा सिस्टम है जिसमें आपको टोल देने के लिए प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी। बल्कि आप अपनी स्पीड से गाड़ी लेकर जाएंगे और आपका टोल टैक्स (toll tax deduction) खुद ही कट जाएगा। यानी ये पूरी तरह सैटेलाइट पर काम करेगा और गाड़ियों की पहचान है। इसे GPS टोल सिस्टम के नाम से भी जाना जाता है।
सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम के बाद FASTag का क्या होगा ?
जैसा कि हमने बताया कि सड़क एवं परिवहन मंत्री (Road and Transport Minister) की तरफ से सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम को मंजूरी दे दी गई है। लेकिन अभी तक ये जानकारी सामने आ रही है कि ये कमर्शियल व्हीकल के लिए पहले लाया जाएगा। दरअसलश् इस टोल सिस्टम का अभी ट्रायल शुरू किया जाएगा और इसे कमर्शियल व्हीकल (GNSS for commercial vehicle) पर ही ट्राई किया जाएगा। यानी आपके अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं होगी। आपको सीधा हाईवे पर जाना होगा और यहां एक अलग लेन की तैयारी भी की जा रही है। वहां से गुजरने के बाद खुद ही व्हीकल का टोल कट जाएगा।
देना पड़ेगा चालान
ऊपर दी गई जानकारी के अनुसा सबसे पहल ये कमर्शियल वाहनों के लिए और उसके बाद जल्द ही कारों के लिए भी भी ओपन कर दिया जाएगा। लेकिन अलग लेन होने के बाद भी अगर कोई व्हीकल टोल से बचने के लिए जान बूझकर गलत लेन का इस्तेमाल करता है और इसकी वजह से उसका टोल नहीं कटता (new toll tax deduction systum) है तो उस वाहन चालक को चालान भी भरना पड़ सकता है।
हाल ही में जारी एक मीडिया रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि इसके लिए मोटा जुर्माना देना पड़ेगा। हालांकि अभी ये कैसे काम करेगा और किन हाईवे (NHAi Guidelines) और सड़कों के लिए इसे तैयार किया जा रहा है। इसकी पूरी जानकारी तो निकलकर सामने नहीं आई है।
नितिन गडकरी ने पहले ही कर दिया था खुलासा
अगर आपको याद नही तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नितिन गडकरी की तरफ से पहले ही इस नए सिस्टम को लेकर हिंट दी जा चुकी है। इससे पहले नीतिन गडकरी ने कहा था कि वह एक ऐसा सिस्टम लेकर आ रहे हैं जिसमें यूजर्स को कहीं टोल (toll plaza) पर रुकना नहीं होगा। अभी तक ये भी साफ नहीं हो पाया है कि आखिर ये काम कैसे करेगा। क्योंकि किसी रिपोर्ट में कहा गया है कि ये सीधा बैंक अकाउंट से अटैच होगा। जबकि अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके लिए अलग से एक वॉलेट होगा, जिसमें यूजर्स पैसे ऐड कर पाएंगे।
जान लें इस पए सिस्टम में कितनी होगी फीस
जहां तक फास्टैग की बात है तो वो काफी किफायती था लेकिन आपको हैरानी होगी कि ये GNSS Toll System महंगा होने वाला है। कहने का मतलब ये है कि इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी होगी। अभी तक सामने आई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि जीएनएसएस की फीस 4 हजार रुपए तक हो सकती है। जबकि FASTag काफी सस्ता होता है। जीएनएसएस की फीस 4 हजार रुपए (GNSS Fees) तक होने के साथ आपको अलग से टोल पेमेंट भी करनी होगी जो इसका हिस्सा नहीं होने वाली है। उसके लिए बिल्कुल अलग तरीके से ये काम करने वाला है।
नया सिस्टम जाम से दिलाएगा छुटकारा ?
देश में ट्रैफिक को कम करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। आज जिस सिस्टम की हम बात कर रहे है वो खासतौर पर जाम से छुटकारा पाने के लिए ही शुरू किया जा रहा है। भारत में तो अभी इसकी बातें है लेकिन जर्मनी और रूस जैसे देशों में सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम (Satellite Based Toll System in India) पहले से ही काम कर रहा है।
यही वजह है कि यहां लोग टोल प्लाजा पर रुकते नहीं हैं। इन देशों में ये सिस्टम कई सालों से लागू है। लेकिन भारत में ये पूरी तरह नया है। अगर ये पूरी तरह लागू हो जाता है तो कहा जा सकता है कि ये जरूर अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है। खासकर ऐसे यूजर्स के लिए जो टोल प्लाजा(Toll Plaza rules) पर लगने वाली लंबी लाइनों से परेशान हैं।