Family Court : 50 हजार रुपये कमाने वाली पत्नी ने पति से मांगा 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता, कोर्ट में खुली पोल

My job alarm - (Divorce and Alimony Case) बता दें कि मध्य प्रदेश के इंदौर के फैमिली कोर्ट में हाल ही में एक अनोखा मामला सामने आया हैं कि एक पत्नी अपने पति से कईं गुणा ज्यादा कमाई करती हैं इसके बाद भी पत्नी ने कोर्ट में भरण-पोषण की मांग की है। हालांकि, पत्नी द्वारा कोर्ट में जो शपथ पत्र दिया गया वो जांच के दौरान झुठा (Husband Wife court case) पाया गया हैं। जिसके चलते कोर्ट ने केस भी खारिज कर दिया हैं। साथ ही, महिला के खिलाफ कोर्ट में झूठी जानकारी देने पर 340 का आवेदन मूव किया है।
दरअसल, पुरा मामला यह था कि इंदौर निवासी जगजीत सलूजा की शादी 2012 में हुई थी, जिसके बाद पति-पत्नी (Wife’s Rights to Maintenance) दोनों के बीच किसी विवाद के कारण मामला कोर्ट तक पहुंच गया। इसी दौरान पत्नी ने अपने जीवनयापन के लिए कोर्ट में आवेदन किया। लेकिन जांच में पाया गया कि वह पत्नी (Unique Court Case) किसी अच्छी कंपनी में कार्यरत थी और उसकी सैलरी लगभग 50000 रुपये थी। वहीं पति जगजीत महीने में 10000 रुपये ही कमा पाते थे। ऐसे में कानून के अनुसार पति उसे भरण पोषण देने के लिए बाध्य नहीं था।
बता दें कि इस मामले में पत्नी ने अपनी नौकरी की सैलरी से संबधित बैंक डिटेल के बारे में कोर्ट से छिपाकर ही यह आवेदन किया था। लेकिन जांच के दौरान उसके बैंक की स्टेटमेंट निकलवाई गई (Alimony for Wife in India) जिससे की सारा सच सामने आ गया। इसके बाद कोर्ट ने पत्नी द्वारा दिए गए भरण-पोषण के आवेदन को खारिज कर दिया। महिला के खिलाफ कोर्ट में झूठी जानकारी देने पर 340 का आवेदन मूव किया गया है। इस मामले में इंदौर की एडवोकेट प्रीति मेहना जगजीत सलूजा ( पति) की वकील रहीं और फैसला न्यायाधीश माया विश्वलाल ने सुनाया।
क्या है भरण पोषण से जुड़ा कानून
हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 18 इस विषय पर संहिताबद्ध कानून का एक उदाहरण है। उस धारा की उप-धारा (1) के तहत, धारा के प्रावधानों के अधीन, एक हिंदू पत्नी, चाहे वह (Maintenance for Wife After Divorce) अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में विवाहित हो, अपने जीवनकाल के दौरान अपने पति द्वारा भरण-पोषण पाने की हकदार होगी। इसके अलावा किसी अन्य विधि में केवल पत्नी ही भरण पोषण के लिए आवेदन कर सकती है।
ये भी जान लें -
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने पर पति या पत्नी सामने वाले आर्थिक रूप से कमजोर पक्ष को जीवन यापन करने के लिए निश्चित राशि प्रदान करता है. बता दें अगर पत्नी, पति से ज्यादा कमाती है या वह ऐसी नौकरी में है, जहां वह अपना जीवनयापन सही ढंग से कर सकती है तो पति भरण पोषण देने के लिए बाध्य नहीं होगा.