Delhi High Court: अब लव मैरिज की राह हुई आसान, हाईकोर्ट ने कही बड़ी बात

My job alarm -(Delhi High Court Decision) : आज के समय में लव मैरिज आम बात हो गई हैं। Love Marriage के लिए भारत में माता-पिता को मनाना आसान काम नहीं है। कई बार कपल की लाख कोशिशों के बाद भी मां-बाप राजी नहीं होते या फिर उनकी सहमति लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। अगर आप भी ऐसी (Lifestyle and Relationship) ही समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको यह पुरा आर्टिकल जरूर पढ लेना चाहिए। हाल ही में हाईकोर्ट में आए ऐसे ही मामले पर कोर्ट ने अपनी टिप्पणी दी हैं। अगर आप भी अपने पसंदीदा शख्स से विवाह करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं।
दरअसल, हाईकोर्ट के सामने मामला आया था कि एक जोडा जो अपनी मर्जी से विवाह कर चुका हैं अब उन्हें परिवार द्वारा धमकियां दी जा रही हैं। इस मामले पर हाईकोर्ट ने अपने फैसले (high court decisions on love marriage) में बताया हैं कि जिसमें दंपती को सुरक्षा देते हुए कहा कि अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ शादी की है और दोनों के बालिग होने को लेकर कोई संदेह नहीं है। कोर्ट ने कहा, ऐसे में कोई भी, यहां तक कि परिवार के सदस्य भी आपत्ति नहीं जता सकते।
दिल्ली हाईकोर्ट (love marriage law) के अनुसार अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ शादी करने को लेकर संविधान में आपके हक में अधिकार दिए गए हैं। बता दें कि हमारे संविधान के अनुसार अगर दोनों आवेदक बालिग हैं तो परिवार वाले भी ऐसी शादियों पर आपत्ति जताने का हक नहीं रखते। कोर्ट में आए इस मामले पर अपनी दलील रखते हुए कोर्ट ने विवाहित जोडे को सुरक्षा प्रदान (parents against love marriage) करते हुए उन्हें उनके अधिकारों से पुरी तरह से सजग करवाया।
परिवार की आपत्ति नहीं होगी स्वीकार -
जस्टिस तुषार राव गेडेला (Delhi High Court) ने अपने आदेश में कहा कि सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य है। संविधान में लव मैरिज को लेकर दंपत्ति को पुरी सुरक्षा मुहैया (convince parents for love marriage) करवाने का एक्ट है। अपने फैसले पर इन टिप्पणियों के साथ हाई कोर्ट ने दंपती की याचिका का निपटारा कर दिया। उन्होंने पुलिस सुरक्षा दिलाए जाने की कोर्ट से मांग की थी। हाई कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ताओं ने अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ शादी की है और दोनों के बालिग होने को लेकर कोई संदेह नहीं है। कोर्ट ने कहा, ऐसे में कोई भी, यहां तक कि परिवार के सदस्य भी दंपत्ति को कोई धमकी या नुक्सान नहीं पहुचा सकते हैं और ना ही उन्हें कोई आपत्ति जताने का अधिकार हैं।
कोर्ट में दर्ज हुए केस में दंपती ने ये शिकायत दी थी जिसमें दंपती का कहना था कि उन्होंने अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ (parental objections to marriage) अप्रैल में शादी की थी और तब से साथ रह रहे हैं। इस दौरान परिवार के सदस्यों, खासकर लड़की के परिवारवालों से उन्हें धमकियां मिलने लगीं। कोर्ट ने संबंधित बीट ऑफिसर को समय-समय पर उनपर नजर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है।