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High Court : पति के बाद पत्नी का संपत्ति में कितना अधिकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

Widow Right To Husband Property :  भारत में अधिकत्तर लोग मानते हैं कि शादी के बाद एक महिला के लिए ससुराल ही उसका सबकुछ होता है। शादी के बाद महिला अपने माता-पिता, भाई-बहन, घर-परिवार को छोड़कर ससुराल में जाती है और पूरा जीवन बिताती है। यही वजह है कि सामाजिक और कानूनी रूप से शादी के बाद महिला कुछ अधिकार भी दिए जाते हैं। लेकिन आज हम आपको इस खबर में बताएंगे की क्या सिर्फ शादी कर लेने से कोई महिला किसी पुरुष की प्रॉपर्टी में बराबर की हकदार (property rights) हो जाती है? इसी को लेकर हाईकोर्ट की ओर से बड़ा फैसला दिया गया है। जिसमें स्पष्ट किया है कि पति के बाद पत्नी का उसकी प्रोपर्टी में कितना हक होगा।
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High Court : पति के बाद पत्नी का संपत्ति में कितना अधिकार, हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला

My job alarm (ब्यूरो) : संपत्ति पर विवाद होना आज के समय में एक आम बात हो गई है। आए दिन संपत्ति के विवाद से जुड़े नए-नए केस कोर्ट में आते है। ऐसे में जरूरी है की आपको प्रोपर्टी बंटवारें को लेकर सारी जानकारियां होनी चाहिए ताकि आपको विवाद का सामना ना करना पड़े। खासकर औरतों को प्रोपर्टी बंटवारें से जुड़े कानून और नियमों (Laws and rules related to property division) का अभाव रहता है। हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसलें में हिंदू महिलाओं के संपत्ति विरासत के अधिकारों की पुष्टि की है, जिन्हें उन्होंने अपनी पति की मौत के बाद प्राप्त किया है। 


दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court Decision) ने हिंदू विधवा के उसके पति की संपत्ति पर अधिकार (rights on husband's property) को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी हिंदू महिला की कमाई नहीं है और उसके पति की मौत हो गई है, तो वह अपने पति की संपत्ति का जीवन भर इस्तेमाल कर सकती है। 


लेकिन कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर महिला के बच्चों सहित अन्य वारिस संपत्ति पर दावा (claim on property) करते हैं, तो महिला को अकेले उस संपत्ति को बेचने या किसी और को देने का पूरा हक नहीं है। दरअसल इससे जुड़े एक मामले में पति (जो पत्नी से पहले मर गया) ने एक वसीयत बनाई थी, जिसमें उसने अपनी पत्नी को मरने तक संपत्ति का इस्तेमाल (use of property) करने का अधिकार दिया था और आगे बताया था कि बाद में संपत्ति का क्या होगा।


जज प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि, 'अगर किसी हिंदू महिला की कमाई नहीं है, तो उसके पति द्वारा बनाई गई वसीयत के जरिए मिली संपत्ति उसके जीवनभर की आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। खासकर तब, जब पति के गुजर जाने के बाद महिला बच्चों पर निर्भर न रह सके। ऐसी परिस्थिति में, पत्नी को जीवन भर संपत्ति का इस्तेमाल करने और उससे होने वाली आमदनी का भी फायदा उठाने का पूरा हक है। लेकिन, यह नहीं माना जा सकता कि पूरी संपत्ति सिर्फ पत्नी के रखरखाव के लिए है और पति की मौत के बाद उसे संपत्ति पर पूरा अधिकार (full rights over property) मिल जाता है।'

 

 

 

क्या है पूरा मामला?


ये मामला संपत्ति के झगड़े से जुड़ा था। निचली अदालत ने फैसला सुनाया था कि चूंकि पति ने मरने से पहले वसीयत लिखी थी, इसलिए पत्नी 23 साल से वहां रहने के कारण संपत्ति की पूरी मालकिन (full ownership of property) बन गई। लेकिन, इस फैसले को चुनौती दी गई क्योंकि मृतक की 6 संतानों और एक नातिन ने भी संपत्ति पर दावा किया था। 


एक पक्ष का कहना था कि संपत्ति का बंटवारा उसी तरह होना चाहिए जैसा मृतक ने वसीयत में लिखा था, जबकि दूसरा पक्ष कह रहा था कि चूंकि मां पूरी मालकिन बन चुकी हैं, इसलिए संपत्ति का नया बंटवारा होना चाहिए। 


कोर्ट ने कहा, वसीयत में साफ-साफ लिखा है कि पत्नी को संपत्ति बेचने, किसी को देने या किसी और के नाम करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में यह कहना कि पति की मौत के बाद वह पूरी संपत्ति की मालकिन बन गईं और उसे बेच सकती थीं, गलत होगा। कोर्ट ने ये भी बताया कि पति की मौत से पहले पत्नी के पास संपत्ति पर कोई हक नहीं था। उन्हें ये अधिकार सिर्फ वसीयत के जरिए मिले थे।

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