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Daughter's property rights : क्या दहेज लेने के बाद भी बेटी को पिता की संपत्ति में मिलेगा हिस्सा, हाईकोर्ट ने दिया जवाब

Daughter's Right :आमतौर पर बेटियों की शादी में लोग अपनी क्षमता के अनुसार दान दहेज देते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कई महिलाएं शादी में दहेज देने के बावजूद भी अपने पिता की संपत्ति में हक लेने के लिए दावा कर देती हैं। अधिकतर लोगों को बाप की प्रॉपर्टी में बेटी के हक की कानूनी जानकारी नहीं है। पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। आइये खबर में विस्तार से जानते हैं कि हाईकोर्ट ने बेटियों के अधिकार को लेकर क्या फैसला सुनाया है।

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Daughter's property rights : क्या दहेज लेने के बाद भी बेटी को पिता की संपत्ति में मिलेगा हिस्सा

My job alarm- (Daughter Right In Father's Property) जो लोग बेटियों की शादी में अच्छा खर्चा करते हैं और खूब सारा दान दहेज भी देते हैँ। क्या वो बेटियां दान दहेज लेने के बाद भी अपने पिता की संपत्ति में अपना हक ले सकती हैं। इस मामले से अधिकतर लोग अनजान हैं। मगर ऐसे ही एक मामले में बॉम्बे (Bombay High Court) की हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। 

 

बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने तेरेजिन्हा मार्टिन्स डेविड बनाम मिगुएल गार्डा रोसारियो मार्टिन्स मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के दौरान दहेज देने के बाद भी बेटी को पिता की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलेगा। केस की सुनवाई करने के बाद न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने बेटी के हिस्से की संपत्ति को उसकी अनुमति के बिना उसके भाइयों को ट्रांसफर करने के डीड को भी कैंसिल कर दिया है।

 


दान दहेज देने के बाद भी बेटी को मिलेगा हिस्सा

 


केस की सुनवाई करने के दौरान न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने कहा कि बेशक बेटियों को शादी के समय दान दहेज दिया गया था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि बेटियों (Daughter Right in Father Property) का पारिवारिक संपत्ति में कोई हक नहीं रहता। इस तरह बेटियों के अधिकारों को खत्म नहीं कर सकते, जिस तरह पिता की मौत के बाद भाइयों द्वारा बेटियों का हक छीना जा रहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि बेटियों को पर्याप्त दान दहेज देने का कोई प्रमाण नहीं है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि बहनों को वंचित करने के लिए भाईयों द्वारा संयुक्त परिवार की संपत्ति हड़पी जा रही है।

 

 

भाईयों के नाम ट्रांसफर डीड पर रोक लगाने की मांग

 

बता दें कि चार बहनों, चार भाइयों और मां से जुड़े प्रॉपर्टी मामले में बड़ी बेटी ने कोर्ट में याचिका दायर करके एक डीड का हवाला दिया था, जिसमें दिवंगत पिता ने अपनी बेटी (Dowry) को संपत्ति का उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके साथ ही याचिका में 8 सितंबर, 1990 की एक दूसरी डीड का भी जिक्र किया गया था, जिसके अनुसार मां ने परिवार की एक दुकान भाइयों के नाम ट्रांसफर करवा दी थी। बेटी ने याचिका में इस डीड को रद्द करने की मांग की थी। इसके साथ ही दुकान को बिना उसकी मर्जी के भाईयों के नाम ट्रांसफर करने पर रोक लगाने की भी मांग की।

भाईयों ने किया ये दावा

भाइयों की ओर से दी गई दलील में यह दावा किया गया कि चारों बहनों की शादी में पर्याप्त दान दहेज दिया गया था। उन्होंने अदालत (Bombay Hc Dowry) को बताया कि सूट की दुकान उनकी पैतृक संपत्ति नहीं थी, बल्कि तीन भाइयों और उनके दिवंगत पिता की ओर से बनाई गई साझेदारी फर्म की प्रॉपर्टी थी। इसको लेकर उन्होंने डीड ऑफ को चुनौती देते हुए कांउटर क्लेम दायर भी किया, लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।

बेटियों को पर्याप्त दान दहेज देने के सुबूत नहीं 

हाईकोर्ट के अनुसार जब रिकॉर्ड जांचा तो उसमें मिले सुबूतों से पता चला है कि बहनों को बेदखल (Dowry Law) करने के लिए संयुक्त परिवार की प्रॉपर्टी को भाईयों ने खासतौर पर छीनने का काम किया है। सभी बहनों में से एक बहन का भाईयों के पक्ष में बयान देने का ये मतलब नहीं है कि पारिवारिक संपत्ति के मौखिक बंटवारे का मामला कानूनी तौर पर निपट गया है। क्योंकि बेटियों को पर्याप्त दान दहेज देने का कोई सुबूत नहीं है।


बेटा-बेटी का पिता की संपत्ति में हक 

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में 2005 में किए गए संशोधन के बाद कानूनी रूप से पिता की संपत्ति व पैतृक संपत्ति में बेटा-बेटी का ताउम्र के लिए बराबर का हक है। हालांकि पिता की स्वअर्जित संपत्ति में पिता (pita ki property me bete ka hak)की मर्जी होती है। साल 2005 से पहले कानून के अनुसार हिंदू परिवारों में बेटे को ही संपत्ति का उत्तराधिकारी माना जाता था। 


कानून के जानकारों के अनुसार 20 दिसंबर 2004 से पहले अगर किसी पैतृक संपत्ति का बंटवारा हो चुका है तो उसमें लड़की का कानूनी तौर पर हक (pita ki property me beti ka hak) नहीं  है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे मामले में पुराना हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act)लागू होगा। यहां पर यह भी जान लें कि बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के लोगों पर भी यही कानून लागू होता है।

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