My job alarm

consumer court: दुकानदार को ग्राहक के 3 रुपये नहीं देने पड़ गए भारी, कंज्यूमर कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

consumer laws: जब हम दुकान से सामान खरीदते हैं, तो कई बार दुकानदार छुट्टे पैसे वापस करने में टाल-मटोल करते हैं। कई दुकानदार तो 2-5 रुपये के बदले टॉफी दे देते हैं, जबकि कुछ ग्राहक को यह उम्मीद रखते हैं (consumer awareness) कि वह छुट्टे पैसे मांगने से चूक जाएं। हाल ही में  ऐसे ही एक मामला सामने आया है। जहां एक दुकानदार ने ग्राहक को बचे हुए तीन रुपये वापस नहीं दिए। लेकिन ग्राहक अपने अधिकार के लिए कोर्ट जा पहुंचा।  आइए नीचे खबर में विस्तार से जानते हैं -
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consumer court: दुकानदार को ग्राहक के 3 रुपये नहीं देने पड़ गए भारी, कंज्यूमर कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

My job alarm (consumer court) : हाल ही में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया हैं कि एक ग्राहक को दुकान में सामान खरीदने के बाद सिर्फ 3 रूपये के लिए बेइज्जत होना पडा। जी हां, बता दें कि यह मामला जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, संबलपुर में सामने आया हैं। दरअसल, एक ज़ेरॉक्स दुकान के (consumer rights and responsibilities) मालिक को एक ग्राहक को 3 रुपये वापस करने से इनकार कर दिया। बता दें कि इस मामले की सुनवाई में ग्राहक की जीत हुई और दुकानदार को जुर्माना भरना पडा। 

 

जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग द्वारा इसके बारे में आदेश दिया जिसके अनुसार दुकानदार को 25,000 रुपये का भारी जुर्माना देने का आदेश दिया। आदेश के अनुसार, जुर्माना अदा न करने पर जुर्माने (consumer courts) की रकम शिकायतकर्ता को वसूल होने तक 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करनी होगी।

 

आयोग के आदेश में कहा गया कि दुकान मालिक को आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता से ज़ेरॉक्स शुल्क के लिए (consumer redressal commissions) प्राप्त अतिरिक्त धन के रूप में 3 रुपये वापस करने और शिकायतकर्ता को मानसिक पीड़ा और उत्पीड़न के मुआवजे के रूप में 25,000 रुपये वापस करने का निर्देश दिया गया है. ऐसा न करने पर शिकायतकर्ता को राशि का भुगतान होने तक 9% वार्षिक ब्याज देना होगा।

 

 

ये था पूरा मामाला

रिपोर्टों के अनुसार, पत्रकार प्रफुल्ल कुरार दाश 30 अप्रैल को दस्तावेज़ की फोटोकॉपी लेने (consumer disputes) के लिए दुकान पर गए थे। दाश ने पांच रुपये दिए और दुकानदार से कहा था कि वह तीन रुपये वापस कर दे, क्योंकि फोटोकॉपी की वास्तविक दर दो रुपये प्रति कॉपी है। लेकिन दुकानदार ने राशि वापस करने से इनकार कर दिया और शिकायतकर्ता के साथ दुर्व्यवहार किया।

 

बार-बार अनुरोध करने के बाद, मालिक की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति ने पांच रुपये वापस कर दिए और शिकायतकर्ता को यह कहकर अपमानित किया कि उसने पैसे भिखारी को दान कर दिए हैं। इसके अलावा, दुकानदार (Consumer Disputes Redressal Commission) ने कोई रसीद या बिल नहीं दिया था, जो एक अनुचित व्यापार व्यवहार है और इससे वित्तीय नुकसान के अलावा काफी मानसिक पीड़ा, उत्पीड़न और असुविधा हुई।

 

बता दें कि इस मामले में जीत के बाद मिले आदेश के अनुसार, दुकानदार इन कारणों के लिए शिकायतकर्ता को मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है। विवाद निवाराण आयोग में आगे कहा गया कि विपक्षी दल ने कोई रसीद (consumer protection act) या बिल नहीं दिया था, जो ओपी द्वारा अपनाया गया एक अनुचित व्यापार व्यवहार है। इसके अलावा, ओपी प्रति फोटोकॉपी बाजार दर की तुलना में अधिक पैसा वसूल रहा है। इसलिए, ओपी सेवा में कमी है। यह उपभोक्ता का शोषण है।


शिकायतकर्ता प्रफुल्ल कुरार दाश ने अपने बयान में कहा कि यह सिर्फ मेरा व्यक्तिगत मामला नहीं हैं बल्कि ग्राहकों के अधिकारों के लिए गहरी चिंता का विषय हैं। इन्होनें बताया कि जब मेरे साथ यह घटना घटित हुई (consumer rights movement in India) इसके बाद से मैंने खुद को इतना अपमानित महसुस किया कि मैंने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायत दर्ज कराई और अदालत के हस्तक्षेप की बदौलत मुझे न्याय मिला. दुकान के मालिक गौरव अग्रवाल ने कहा, 'अधिवक्ता के साथ फैसला पढ़ेंगे और देखेंगे कि आगे क्या होता है.'
 

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