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Connaught Place in Delhi : कौन है दिल्ली के कनॉट प्लेस का मालिक, जानिये कौन वसूलता है हर महीने किराया

owner of connaught place :दिल्ली के दिल की धड़कन कनॉट प्लेस के बारे में कौन नही जानता है। यहां घूमने के लिए लोगों की भीड़ का तांता लगा रहता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस खूबसूरत जगह का मालिक कौन है। कौन यहां हर महीने मोटा किराया वसूलता है। अगर आप इन सब को जानने के इच्छुक है तो हमारी इस खबर को अंत तक जरूर पढ़ें। 

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Connaught Place in Delhi : कौन है दिल्ली के कनॉट प्लेस का मालिक, जानिये कौन वसूलता है हर महीने किराया

My job alarm (ब्यूरो) : देश की राजधानी दिल्ली के टूरिज्म के चर्चे देश के हर कोने में है। दिल्ली में घूमने के लिए काफी जगहें है। लोग स्पेशल समय निकाल कर दिल्ली दर्शन के लिए जाते है। दिल्ली की मार्केट (Delhi ki markets) भी घूमने वाले लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। यहां एक से बढ़कर एक ऐसी जगहें है जो लोगों को बार-बार दिल्ली आने के लिए मजबूर करती है। वहीं दिल्ली का दिल कहा जाने वाला कनॉट प्लेस सुर्खियों में रहता है। यहां के टूरिज्म की तो बात ही कुछ और है। आप में से अधिकतर लोग कनॉट प्‍लेस (Connaught Place) घूमे भी होंगे, लेकिन आज जो हम बताने वाले है बहुत कम ही लोगों को पता होगा कि आखिर दिल्‍ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्‍लेस का मालिक (owner of connaught place) कौन है?, कनॉट प्‍लेस का मालिक हर महीन कितने रुपये किराया कमाता होगा।  

 

 

दिल्‍ली का दिल है ये जगह 

 

 

अब दिल्ली वालों से और दिल्ली में घूम (Delhi Tourism) चूके लोगों के मुहं से अकसर आपने एक कहावत जरूर सुनी होगी कि अगर आप दिल्‍ली आए और कनॉट प्‍लेस नहीं घूमा तो समझ‍िये कि आपका दिल्‍ली जाना अधूरा रह गया। कनॉट प्‍लेस को देखने न केवल भारत बल्कि देश के बाहर से भी लोग यहां की सुंदरता देखने आते (Best Place to visit in Delhi) हैं। कनॉट प्‍लेस व्‍यापारिक और सांस्‍कृतिक गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। ऐसे में भला कोई दिल्‍ली आए और बिना कनॉट प्‍लेस देखे चला जाए तो उसका दिल्ली आना ही अधूरा है। 

 

 

कब बसा दिल्ली का कनॉट प्‍लेस?

 

इसकी शुरूआत की बात की जाए तो सबसे पहले इसके नाम के पीछे की स्टोरी बता दें कि इसका नाम ब्रिटिश शाही व्‍यक्ति ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न के नाम पर रखा गया है। ब्रिटिश सरकार द्वारा सन् 1929 में इसे बसाया गया (When was Connaught Place established?) था। उस समय कनॉट प्‍लेस को बनाने में करीब 5 साल का समय लगा था। इसकी डिजाइन का श्रेय ब्रिटिश वास्‍तुकार राबर्ट टोर रसेल को दिया जाता है। ये दिल्ली की सबसे बेस्ट जगहों (Best places of Delhi) में से एक है। 

 

क्या है दिल्ली के दिल की खासियत?

कनॉट प्लेस के बारे में जितना बताए उतना कम है। इसके क्षेत्रफल के बारे में बता दें कि ये 30 हेक्‍टेयर में फैला है जो कि खरीदारों के लिए ड्रीम प्लेस है। इसके सबसे बड़ी खासियत तो ये (Specialty of the Connaught Place of Delhi) है कि कनॉट प्‍लेस अपनी जॉजियाई शैली की वास्‍तुकला के लिए भी जाना जाता है। यहां 12 सड़कें बाजार के अंदर और बाहर जाती हैं। यहां एक और प्रमुख आकर्षण सेंट्रल पार्क है। पार्क के अंदर लगा राष्ट्रीय ध्वज देश का सबसे ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज (Highest national flag of the country) है। यह 207 फीट ऊंचा और 60 फीट चौड़ा है। इसका वजन करीब 37 किलोग्राम है। 


इतना आता है किराया 


कनॉट प्लेस के किराए के बारे में बात करें तो संबंधित रिपोर्ट में ये बताया गया है कि कनॉट प्‍लेस (Connaught Place) में कई मालिक हैं। लेकिन अगर संपत्ति के हिसाब से देखें तो भारत सरकार इस जगह की असली मालिक है। पुरानी दिल्‍ली किराया नियंत्रण अधिनियम 1958 के तहत कनॉट प्‍लेस में कई संपत्तियों का मासिक किराया (Monthly rent for properties in Connaught Place) 3500 रुपये से कम है। सरकार पुराने किरायेदार जैसे स्‍टारबक्‍स, पिज्‍जा हट (pizza Hut), वेयरहाउस कैफे (Warehouse Cafe) और बैंकों को किराये पर देकर हर महीने लाखों कमा रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां औसत किराया 9000 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह से अधिक है।

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