Cheque Bounce Rules 2024 : चेक बाउंस मामले में कितने साल की होती है सजा, जानिये कितनी लगती है पेनल्टी
Cheque Bounce Rules 2024 : UPI और नेट बैंकिंग के आने से चेक का उपयोग कम जरूर हुआ है, लेकिन इसकी उपयोगिता अब भी बनी हुई है। आज भी कई लोग बड़े वित्तीय लेन-देन के लिए चेक का सहारा लेते हैं। हालांकि, चेक से भुगतान करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। एक छोटी सी गलती की वजह से चेक बाउंस (check bounce charges) हो सकता है। चेक बाउंस होने पर आपको न केवल भारी जुर्माना देना पड़ सकता है, बल्कि कानूनी कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है। ऐसे में आपको चेक से जुड़े कानूनी नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए चलिए नीचे खबर में जानते हैं -
My job alarm - (Cheque Bounce Rules) आज भले ही ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का दौर तेजी से बढ़ा है। फोन पे, गूगल पे और UPI के जरिए घर बैठे आसानी से मिनटों में कहीं भी पैसे भेजे जा सकते हैं। इसके बावजूद भी आज ज्यादातर लोग चेक के जरिए पेमेंट करना सुरक्षित मानते हैं और हां, एक हद तक ये सही भी है। लेकिन चेक जारी करते समय काफी सावधानी बरतनी होती है। क्योंकि छोटी सी गलती की वजह से चेक बाउंस (cheque bounced) हो सकता है।
जिसे भारत में अपराध माना जाता है और ऐसा होता है तो आप बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं। ऐसे में चेक से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को समझना बहुत जरूरी है, खासकर चेक बाउंस होने की स्थिति में। यह एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल वित्तीय समस्या पैदा कर सकता है, बल्कि इससे कानूनी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए हमे चेक से संबंधित कानूनों (check rules) के बारे में विस्तार से जानकारी होनी चाहिए।
चेक बाउंस क्या होता है?
सबसे पहले जानेंगे कि चेक बाउंस (check bounced) क्या होता है, जब आप किसी बैंक में चेक लेकर जाते हैं और वह चेक किसी कारणवश भुगतान के लिए स्वीकार नहीं किया जाता, तो इसे चेक बाउंस होना कहते हैं। चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें सबसे प्रमुख कारण खाते में पर्याप्त धनराशि का न होना है। यानी जिस व्यक्ति ने चेक जारी किया है उसके खाते में चेक में भरी गई राशि से कम पैसा है। इसके अलावा, यदि चेक पर दिए गए हस्ताक्षर सही नहीं हैं या चेक की वैधता समाप्त हो चुकी है, तब भी वह बाउंस हो सकता है।
जब चेक बाउंस होता है, तो इससे संबंधित व्यक्ति को इसकी सूचना देनी होती है। यदि चेक का भुगतान एक महीने के अंदर नहीं किया जाता, तो चेक धारक को कानूनी नोटिस भेजने का अधिकार होता है।
चेक बाउंस होने के कारण -
खाते में धनराशि की कमी: यह सबसे सामान्य कारण है। यदि चेक जारी करने वाले के खाते में पर्याप्त धनराशि नहीं है, तो चेक बाउंस हो जाएगा। चेक पर किए गए हस्ताक्षर बैंक के रिकॉर्ड में दर्ज हस्ताक्षर से मेल नहीं खाने पर भी चेक बाउंस हो सकता है। यदि चेक की वैधता समाप्त हो चुकी है या चेक को गलत तरीके से भरा गया है, तो यह भी बाउंस हो सकता है कुछ मामलों में, बैंक अपने स्वयं के नियमों के कारण चेक को स्वीकार नहीं कर सकता है।
चेक बाउंस पर पेनल्टी
जब चेक बाउंस होता है, तो संबंधित व्यक्ति को पेनल्टी का सामना करना पड़ता है। यह पेनल्टी बैंक द्वारा लगाई जाती है और यह राशि विभिन्न बैंकों में अलग-अलग हो सकती है। आमतौर पर, चेक बाउंस होने पर कई पेनल्टी (check bounce charges) लग सकती है। अधिकांश बैंकों में बाउंस हुए चेक के लिए 350 रुपये से लेकर 750 रुपये तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है। यदि एक महीने में एक से अधिक बार चेक बाउंस (check bounce penalty) होता है, तो पेनल्टी बढ़ सकती है। यदि चेक बाउंस होने का कारण हस्ताक्षर में भिन्नता है, तो पेनल्टी 50 रुपये हो सकती है।
कानूनी प्रावधान
चेक बाउंस को लेकर भारतीय कानून (legal action on bounced check) में सख्त प्रावधान हैं। यदि कोई चेक बाउंस होता है, तो चेक धारक को चेक जारी करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार होता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 138 के तहत चेक बाउंस (check bounce legal case) एक दंडनीय अपराध माना जाता है। इसमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:
सजा - चेक बाउंस के मामलों में अधिकतम दो साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, चेक बाउंस होने पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो चेक की राशि से अधिक हो सकता है। यदि चेक बाउंस होता है, तो चेक धारक को पहले चेक जारी करने वाले को विधिक नोटिस भेजना होता है। विधिक नोटिस भेजने के बाद, चेक जारी करने वाले के पास 15 दिनों का समय होता है ताकि वह चेक की राशि का भुगतान कर सके।