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Delhi की इन कॉलोनियों पर चलेगा बुलडोजर, हाई कोई ने सुनाया बड़ा फैसला

Delhi High Court Decision : दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट ने भी कड़ा रुख अपनाया है। एक मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। यह फैसला अनधिकृत कालोनी को लेकर सुनाया गया है। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले सीवेज से यमुना का पानी गंदा हो रहा है। ऐसे में ऐसी कॉलोनी को बुल्डोजर चलाकर ध्वस्त किया जाए। अब अनधिकृत कॉलोनी (illegal colony)  क्षेत्र में कभी भी बुल्डोजर अपनी कार्रवाई कर सकता है।

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Delhi की इन कॉलोनियों पर चलेगा बुलडोजर, हाई कोई ने सुनाया बड़ा फैसला

My job alarm - (DDA News) दिल्ली से गुजर रही यमुना नदी का पानी लगातार प्रदूषित होता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियां जिम्मेदार मानी जा रही हैं। दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi Development authority) की ओर से ऐसी कॉलोनियों के अलावा अन्य अवैध अतिक्रमण पर पूर्व में बुल्डोजर चलाकर ध्वस्त किया जा चुका है। अब हाई कोर्ट में एक मामला पहुंचा तो हाई कोर्ट ने भी यमुना के पानी को गंदा होने से बचाने के लिए अवैध कॉलानी को ध्वस्त करने का निर्णय सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि यमुना में आने वाले सीवेज के लिए अवैध व अनधिकृत कॉलोनियां (illegal colony in Delhi) जिम्मेदार हैं। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से इस खबर में।


कोर्ट ने यह रोक लगाने से किया इनकार


दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने दक्षिणी दिल्ली की अनधिकृत श्रम विहार कॉलोनी पर बुलडोजर चलाने के आदेश पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा यमुना में सितंबर 2024 में अब तक का सबसे ज्यादा प्रदूषण हुआ है। यह बात दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट से साफ जाहिर हो रही है। इसका मुख्य कारण अनधिकृत कॉलोनियों से यमुना में आने वाला सीवेज है। इसलिए अवैध कॉलोनी पर बुलडोजर की कार्रवाई (illegal colony in Delhi) को रोका नहीं जा सकता।


इस रिपोर्ट को बनाया गया आधार


कोर्ट ने भी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के आधार पर माना कि यमुना को प्रदूषित करने का बड़ा कारण अनिधिकृत कालोनियां हैं, क्योंकि इनसे निकला सीवेज यमुना नदी के पानी में मिल रहा है। ऐसे में अवैध या अनधिकृत अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाने के याचिकाकर्ता कतई हकदार नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने अपने फैसले में यह टिप्पणी की है।


इतनी प्रदूषित कभी नहीं हुई थी यमुना


दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (Pollution Control Committee) की रिपोर्ट देखकर कहा कि यमुना में पिछले कुछ महीनों से प्रदूषण हद से ज्यादा बढ़ गया है। इस कारण बदबू भी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। इससे पहले इस स्तर तक यमुना प्रदूषित नहीं हुई थी। ना ही कभी इतनी बदबू थी। कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि यहां जिस कॉलोनी की बात की जा रही है वह दिल्ली मास्टर प्लान 2021 (Delhi Master Plan 2021) के तहत जोन ‘ओ’ में आती है।  इस जोन को यमुना के उद्धार व पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए बनाया गया है। ऐसे में इस कॉलोनी को ध्वस्त करने के नोटिस पर विचार करने का कोई अर्थ नहीं बनता और न ही किसी दृष्टि से उचित है। इस तरह की भूमि का उपयोग बागवानी के लिए होता है, जहां वनस्पतियों व जीवों की भरमार होती है। 

कई गुना ज्यादा सीवेज


कोर्ट की पीठ (delhi high court) ने यह भी कहा है कि यमुना में अनुपचारित सीवेज या मल की मात्रा  काफी ज्यादा बढ़ गई है। रिपोर्ट के आधार पर आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं।  दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार निर्धारित मात्रा से 1959 गुना ज्यादा व अधिकतम मात्रा से 98 हजार गुना ज्यादा मल बैक्टीरिया पाया जाना काफी चिंताजनक है। पिछले माह यानी सितंबर में तो काफी ज्यादा हालात खराब मिले हैं। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह सारा मल अनधिकृत कॉलोनियों के माध्यम से पहुंच रहा है। ऐसी अनधिकृत कालोनी पर बुल्डोजर (unauthorized colony in delhi) चलाना गलत नहीं होगा।

मान्यता प्राप्त कालोनी की सूची से बाहर है ये एरिया


दिल्ली विकास प्राधिकरण (Delhi dvelopment association) ने भी इस मामले में जवाब हलफनामा दाखिल करके अपना पक्ष रखा है। प्राधिकरण ने तर्क देते हुए यह स्पष्ट किया है कि श्रम विहार कॉलोनी दिल्ली सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 1731 कॉलोनियों की सूची में है ही नहीं। डीडीए (DDA) ने इस बात को दोहराते हुए कहा कि श्रम विहार कॉलोनी उसी क्षेत्र में स्थित एक अन्य कॉलोनी अबुल फजल एन्कलेव से अलग एरिया है।

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