High Court के फैसले से टैक्सपेयर्स को मिली बड़ी राहत, अब इनते साल पुराने मामले नहीं खोल सकेगा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट
Income Tax Department : वित्त मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसियां जैसे आयकर विभाग (Income Tax Department) , केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और प्रवर्तन निदेशायल (ED) ऐसे लोगों को निगाह में रखती हैं, जो इनकम टैक्स समय पर नहीं भरते या फिर भरते ही नहीं है। उन लोगों पर नजर रखी जाती है जिनकी टैक्स और कमाई में अंतर मिलता है या जिन पर टैक्स चोरी का शक हो। वहीं कई बार इन एजेंसियों को कहीं से जानकारी मिलती है कि यह व्यक्ति टैक्स चोरी कर रहा है या काला धन जमा किए हुए है। ऐसे में उस पर नजर होती है और फिर सही मौका पाकर रेड की जाती है। एक और सवाल ये है कि क्या इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) कभी भी और कितने भी पुराने मामले खोल सकता है। इसी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है।

My job alarm (ब्यूरो) : आप अगर टैक्सपेयर्स हैं तो आपके लिए एक बड़ा अपडेट आया है। दरअसल, इनकम टैक्स से जुड़े एक मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने अहम फैसला सुनाया है। इस खबर से उन टैक्सपेयर्स में खुशी की लहर दौड़ी है जिन्हें इनकम टैक्स की तरफ से नोटिस मिल रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स विभाग कई साल पुराने मामलों को खंगाल रहा था और टैक्सपेयर्स को नोटिस (Income Tax Notice) भेजे जा रहे थे। इनकम टैक्स के मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने टैक्सपेयर्स को राहत दी है।
हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि अब 3 साल से पुराने और 50 लाख रुपये से कम के आयकर मामलों में री-असेसमेंट नहीं हो सकता है। कहने का मतलब है कि अब आयकर विभाग री-असेसमेंट (Re-assessment) के मामलों पर कार्रवाई नहीं कर सकता है। वहीं, एक ओर हाई कोर्ट ने इस बात को भी क्लियर किया है कि अगर टैक्सपेयर्स की इनकम 50 लाख से ज्यादा है तो इनकम टैक्स विभाग उस मामले को दोबारा से खोल सकता है।
री-असेसमेंट को लेकर नया इनकम टैक्स कानून (IT Rules)
बजट 2021-22 के दौरान री-असेसमेंट (re-assessment) को लेकर नया इनकम टैक्स कानून बनाया गया था। जिसमें 6 साल से री-असेसमेंट समयसीमा को घटाकर 3 साल कर दिया गया था। 50 लाख से ज्यादा और सीरीयस फ्रॉड में 10 साल तक री-असेसमेंट हो सकती है।
इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) के अधिकारी कभी भी लोगों को पुराने मामले खोलकर नोटिस भेज देते थे। ऐसे में ये उनलोगों के लिए राहत भरी खबर है जिनको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस (IT Notice) मिल जाता था। दिल्ली हाई कोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस भेजने की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए धारा 148 के तहत फैसला सुनाया है। जिससे वह समय के भीतर ही मामलों को फिर से खोलने के लिए नोटिस जारी कर सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ऐसे मामलों में जहां आय (टैक्स असेसमेंट से छूट गई आय) 50 लाख रुपये से कम है, धारा 149 (1) के खंड (ए) में तय तीन साल की सीमा की अवधि लागू होनी चाहिए। 10 साल की विस्तारित सीमा अवधि केवल तभी लागू होगी जब आय 50 लाख रुपये से अधिक हो।
दूसरी ओर, आयकर अधिकारियों (income tax officer) ने तर्क दिया कि आशीष अग्रवाल (मई, 2022) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और बाद में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी एक सर्कुलर को देखते हुए ऐसे नोटिस वैलिड हैं।
ट्रैवल बैक इन टाइम सिद्धांत गलत
सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे वकील दीपक कुमार का कहना है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने माना है कि सीबीडीटी के निर्देश में निहित 'ट्रैवल बैक इन टाइम' सिद्धांत कानून की दृष्टि से गलत है। यह एक स्वागत योग्य निर्णय है, जो उन टैक्सपेयर्स की मदद करेगा जो री-असेसमेंट कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।
यह उन टैक्सपेयर्स (taxpayers) के लिए भी फायदेमंद होगा जिन्होंने रिट याचिका दायर नहीं की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वित्त मंत्री के भाषण और वित्त विधेयक, 2021 के प्रावधानों की व्याख्या दोनों के अनुसार, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के लिए री-असेसमेंट की समय सीमा छह से घटाकर 3 साल कर की थी।
कैसे पड़ती है इनकम टैक्स विभाग की रेड
आयकर विभाग (income tax department) की कोशिश होती है कि छापा ऐसे समय मारा जाए जब व्यक्ति को उसका अंदाजा ना हो, ताकि उसे संभलने का मौका न मिल सके। इनकम टैक्स की अधिकतर रेड तड़के या देर रात मारी जाती हैं, ताकि तेजी से आरोपी के घर में पहुंचा जा सके और कुछ समझ पाने से पहले उसे दबोच लिया जाए।
छापा मारने वाली टीम के पास घर की तलाशी के लिए वारंट भी होता है। जब रेड (income tax raid) मारी जाती है तो आयकर अधिकारियों के साथ पुलिस बल और कभी-कभी तो अर्ध-सैनिक बल भी मौजूद होता है, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी ना हो। इनकम टैक्स रेड 2-3 दिनों तक चल सकती है और इस दौरान घर या दफ्तर में मौजूद लोग बिना आयकर अधिकारियों (income tax officers) की इजाजत के बाहर नहीं जा सकते। आयकर अधिकारी रेड मारते जाते हैं और तमाम चीजें अपने कब्जे में लेते जाते है।
इनकम टैक्स रेड के दौरान प्रतिबंध
इनकम टैक्स विभाग की टीम जब भी किसी व्यक्ति के घर, दफ्तर या संस्थान में रेड करती है, तो सबसे पहले वो वहां मौजूद सभी लोगों के मोबाइल फोन जब्त कर लेती है। इसके बाद उस घर या परिसर के सभी दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। ताकि कार्रवाई के दौरान ना तो कई घर से बाहर जा सके और ना ही कोई अंदर आ सके। आयकर विभाग (income tax department) की टीम में महिला अधिकारी और कर्मचारी भी होती हैं। ताकि वे आवश्यकता पड़ने पर मौके पर मौजूद महिलाओं की तलाशी ले सकें।
दस्तावेजों की होती है जांच
जहां छापेमारी की जा रही है, वहां मौजूद कैश, गहने और कीमती सामान का लेखा-जोखा और दस्तावेज की जांच की जाती है। ज़रूरत पड़ने पर Income Tax Department की टीम उस सामान से जुड़े कागजात अपने साथ भी ले जा सकती है।
इनकम टैक्स रेड के दौरान जब्ती का नियम
छापेमारी (Income Tax Raid) किसी दुकान या शोरूम में की जा रही है, तो वहां बेचने के लिए जो सामान रखा होता है, उसे आयकर अधिकारी जब्त नहीं कर सकते। लेकिन उस सामान की जानकारी कागजों में दर्ज कर सकते हैं। साथ ही उस सामान से जुड़े दस्तावेज जब्त किए जाते हैं। अगर रेड के दौरान कैश या गहने मिलते हैं और उसका लेखा-जोखा व्यक्ति के पास है तो अधिकारी उसे भी जब्त नहीं करते।
जब्त रकम पर होती है ये कार्रवाई
इनकम टैक्स की छापेमारी के दौरान किसी जगह से अघोषित पैसा या गहने आदि मिलते हैं, जिसका हिसाब किताब या कोई दस्तावेज संबंधित व्यक्ति या संस्थान के पास मौजूद नहीं है, तो आयकर विभाग की टीम उसे जब्त कर सकती है। पैसा जब्त होने के बाद सीधे बैंक में जाता है और वहां सरकारी एकाउंट में जमा करवाया जाता है।
फिर जांच में अगर टैक्स देनदारी (tax liability) क्रिएट होती है। तो उसका एसेसमेंट होता है। एसेसमेंट के बाद जो टैक्स डिमांड निकलती है। उसे ट्रायब्यूनल में सेटल किया जाता है। इसके बाद जो पैसा बचता है, उसे पार्टी को ब्याज समेत वापस दिया जाता है। कई मामलों में ऐसी रकम केस की सुनवाई पूरी होने तक इनकम टैक्स विभाग की टीम (IT Raid) अपने पास रखती है।