Ancestral property: पैतृक संपत्ति में परिवार वाले ना दें हिस्सा, तो ऐसे पाएं अपना अधिकार
My Job alarm - (Right To Ancestral Property) भारत में पैतृक संपत्ति का गहरा सामाजिक, सांस्कृतिक और कानूनी महत्व है। यह पारिवारिक विरासत परंपराओं और अधिकारों से जुड़ा हुआ है। हालाँकि, संपत्ति से जुडे कानूनी अधिकारों को लेकर कई बारीकियाँ हैं। हमारे आस पास अक्सर देखने को (claim ancestral property) मिलता हैं कि संपत्ति को लेकर अक्सर विवाद छिडे रहते हैं। ऐसे में अगर किसी परिवार में किसी शख्स को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं दिया जाता हैं तो यह गैर कानूनी हैं।
वहीं बहुत से उत्तराधिकारी उनके कानूनी हिस्से से ही वंचित रह जाते हैं। अकसर ऐसा लड़कियों के साथ होता नजर आया है। कई लड़कियां आज भी अपने हक से वंचित रह जाती हैं। आज हम आपको बताएंगे (how to claim your share in an ancestral property) यदि किसी को उनके दादा, पिता व भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं देते तो वह क्या कर सकता है।
पैतृक संपत्ति में कितना होता हक -
सबसे पहली बात यदि दादा, पिता एवं भाई पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार हैं तो आपको भी पैतृक संपत्ति में हिस्सा अवश्य दिया जाना चाहिए। अगर संपत्ति पिता को उनके पूर्वजों से प्राप्त हुई है, यानी वह पैतृक संपत्ति है, तो पिता इसे अपनी मर्जी से किसी एक को नहीं दे सकते। इस स्थिति में बेटी और (how ancestral property divided) बेटे दोनों का समान अधिकार होता है। पैतृक संपत्ति में हिस्से का अधिकार जन्म के साथ ही मिल जाता है। हिंदू कानून के मुताबिक संपत्तियां दो तरह की होती हैं-पैतृक संपत्ति और खुद कमाई हुई। पैतृक संपत्ति वह संपत्ति होती है, जो चार पीढ़ियों तक आपके लिए पूर्वज छोड़कर जाते हैं।
अगर न मिले हिस्सा तो क्या करें -
अगर पैतृक संपत्ति में हिस्सा न मिले, तो आप सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर सकते हैं। इस मामले में, कोर्ट से संपत्ति को बेचने से रोकने की भी मांग की जा सकती है। विवादित स्थिति में, कानूनी सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए। मामले के विचाराधीन होने के दौरान प्रापर्टी को बेचा (rules regarding ancestral property) न जाए यह सुनिश्चित करने के लिए आप उस मामले में कोर्ट से रोक लगाने की मांग कर सकते हैं। मामले में अगर आपकी सहमति के बिना ही संपत्ति बेच दी गई है तो आपको उस खरीदार को केस में पार्टी के तौर पर जोड़कर अपने हिस्से का दावा ठोकना होगा।
पैतृक संपत्ति में बेटियों का कितना होता है हक -
2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बदलाव करके पहली बार बेटियों को पैतृक संपत्ति में अधिकार दिया गया था। पहले यह (Daughter Property Right) नियम केवल उन बेटियों पर लागू होता था जिनके पिता की मृत्यु 9 सितंबर, 2005 के बाद हुई हो। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस तिथि की सीमा को हटा दिया था। अब बेटियों को बेटों के समान ही उत्तराधिकार का हक है। बता दें कि कानून में संशोधन से पूर्व केवल परिवार के पुरूषों को ही उत्तराधिकारी का दर्जा दिया जाता था।