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Ancestral Property : संपत्ति से बेदखल करने के बाद भी औलाद को इस संपत्ति में देना होगा हिस्सा, कोर्ट भी नहीं करेगी मदद

Ancestral Property : हमारे देश में बड़े-बड़े परिवार कई पीढ़ियों से एक साथ ही रहते हैं। लेकिन अब धीरे-धीरे बदलते वक्त के साथ छोटी फैमिली ही नजर आती हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी को लेकर भी अक्सर विवाद हो जाते हैं। कई बार मामले इतने पेचीदा हो जाते हैं कि कोर्ट तक पहुंच जाते हैं। कानून के अनुसार संपत्तियां (Ancestral Property Eviction)  दो तरह की होती हैं एक तो पैतृक संपत्ति और स्वअर्जित सपंत्ति। इनमें संतान के अलग-अलग अधिकार होने का प्रावधान है। एक खास तरह की संपत्ति में पिता भी संतान को हिस्सा देने से मना नहीं कर सकता।

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Ancestral Property : संपत्ति से बेदखल करने के बाद भी औलाद को इस संपत्ति में देना होगा हिस्सा, कोर्ट भी नहीं करेगी मदद

My job alarm - (Ancestral Property Rules) कई बार समाज में ऐसे मामले भी देखने को मिलते हैं, जिनमें पिता द्वारा संतान को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है। लेकिन एक संपत्ति ऐसी भी होती है, जिसमें से वह बेदखल करने के बाद भी संतान को हिस्सा (paitrik sampatti me bete ka hak) देने से मना नहीं कर सकता। कानून में भी इसके लिए स्पष्ट तौर से प्रावधान किया गया है। कानून में प्रोपर्टी को दो वर्गों में मुख्य रूप से बांटा गया है। एक तो पैतृक संपत्ति और दूसरी स्वअर्जित संपत्ति। इनमें संतान को किसमें हर हाल में हक मिल सकता है, जानिये इस खबर में डिटेल से।

दो तरह की होती है संपत्ति

संपत्ति मुख्य रूप से दो तरह की होती है, पैतृक और स्वअर्जित संपत्ति। पैतृक संपत्ति ऐसी संपत्ति होती है जो आपके लिए पूर्वज छोड़कर जाते हैं, यह चार पीढ़ियों से चली आ रही अविभाजित संपत्ति होती जो विरासत के रूप में मिलती (ancestral property kya hoti hai) है। इस संपत्ति में मां-बाप द्वारा बच्चों को बेदखल नहीं किया जा सकता। अगर दादा, पिता व भाई पैतृक संपत्ति में मिलने वाले हिस्से से बेदखल कर दें तो पैतृक संपत्ति में दावे के लिए कोर्ट का सहारा ले सकते हैं। अपनी संपत्ति पाने के लिए कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। वहीं स्वअर्जित संपत्ति पिता द्वारा अपनी कमाई से हासिल की गई संपत्ति होती है।

पैतृक संपत्ति क्या है?


पैतृक संपत्ति कम-से-कम 4 पुश्तें पुरानी और अविभाजित होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो कोर्ट मां-बाप की कोई मदद नहीं करेगा। अगर किसी वजह से इस सपंत्ति में बंटवारा (sampatti ka batwara) होता है तो वह प्रॉपर्टी पैतृक नहीं रहती है। पैतृक की जगह खुद से जुटाई गई संपत्ति में तब्दील हो जाती है जिसमें माता-पिता की मर्जी चलती है। वे अपनी संतान को उस प्रॉपर्टी से बेदखल करने का अधिकार रखते हैं।

पैतृक संपत्ति तो पूर्वजों द्वारा विरासत के रूप में मिलती है तो इस पैतृक संपत्ति पर पुत्र और पुत्री दोनों का अधिकार होता है। इसे विरासत में मिली संपत्ति भी कहा जाता है। हालांकि, हर प्रापर्टी विरासत में मिली नहीं होती। इस प्रोपर्टी के लिए (ancestral property ke liye kanoon) हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 की धारा 4, 8 और 19 में यह बात कही गई है। 


पैतृक संपत्ति पर संतान का हिस्सा


पैतृक संपत्ति में मिलने वाला हिस्सा पीढ़ी दर और लोगों की संख्या के बढ़ने के साथ बदलता जाता है। इस प्रोपर्टी में प्रति व्यक्ति के हिसाब से बंटवारा नहीं होता बल्कि पैतृक संपत्ति में आपका हिस्सा इस बात पर डिपेंड है इसमें आपके पिता को कितना हिस्सा मिला है। पैतृक संपत्ति में हिस्से का अधिकार जन्म के साथ ही मिल जाता है। आपके पिता के हिस्से (right to ancestral property) में से ही आपका हक मिलेगा। जैसे कि अगर आप इकलौते हैं तो पिता के हिस्से आई संपत्ति पूरी आपकी होगी। अगर आपके भाई बहन हैं तो पैतृक संपत्ति का हिस्सा सब में बांटा जाएगा। दादा की संपत्ति में पिता का हिस्सा होने के कारण किसी के हिस्से में अधिक पैतृक संपत्ति आएगी (ancestral property) और किसी के हिस्से में कम। 

पैतृक और विरासत संपत्ति में यह होता है अंतर


आम भाषा में कहा जाए तो पैतृक संपत्ति जो आपके बुजुर्ग यानी आपके पूर्वज छोड़कर जाते हैं जो केवल पिता के परिवार की तरफ से आती है। ये विरासत में मिली संपत्ति की तरह होती है। हालांकि, यह जरूरी नहीं है कि विरासत की हर संपत्ति पैतृक(rules regarding ancestral property) हो। ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी मां की तरफ से मिली संपत्ति जिसमें नानी, मां, मामा या अन्य कोई रिश्ता हो जो पिता-दादा-परदादा की तरफ से ना हो,  तो उनसे जो संपत्ति मिलती है उसे विरासत कहा जाता है। लेकिन यह विरासत की संपत्ति होती है पैतृक नहीं होती।

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