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7th Pay Commission : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए जरूरी खबर, CGHS के बनाए नए नियम

7th Pay Commission : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए जरूरी खबर। दरअसल, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को सीजीएचएस कार्ड जारी करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। बता दें कि सरकार ने CGHS कार्डहोल्डर के लिए अस्पताल की इमरजेंसी सर्विस को पहले से अधिक आसान बना दिया है।

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7th Pay Commission : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए जरूरी खबर, CGHS के बनाए नए नियम

My job alarm - CGHS New Rules: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को सीजीएचएस कार्ड जारी करने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।  दरअसल, सरकार ने CGHS कार्डहोल्डर के लिए अस्पताल की इमरजेंसी सर्विस (Emergency Service) को पहले से अधिक आसान बना दिया है। ताकि, बिना किसी परेशानी के तुरंत इलाज शुरू हो सके।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (Central Government Health Scheme launched by Ministry of Health) के कार्डधारकों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसके चलते लोग सरकारी और लिस्टे प्राइवेट अस्पतालों में कंसल्टेशन, जांच और इलाज के लिए बेहतर सर्विस पा सकें। 24 सितंबर 2024 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम (OM) में स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेफरल से जुड़े पुराने नियमों में बदलाव किया है और नए नियमों को लेकर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस (Standard Operating Process) जारी किया है।

इमरजेंसी मामलों के लिए नए CGHS नियम-

अगर कोई इमरजेंसी स्थिति होती है, तो अब हेल्थकेयर ऑर्गनाइजेशन (HCOs) को CGHS से रेफरल या एंडोर्समेंट (Referrals or endorsements) लेने की जरूरत नहीं होगी। वे सीधे कैशलेस इलाज कर सकते हैं। बशर्ते कि मरीज को इलाज करने वाले अस्पताल के एक्सपर्ट से एक इमरजेंसी सर्टिफिकेट (Emergency Certificate) मिल जाए। इस सर्टिफिकेट के साथ अस्पताल बीसीए पोर्टल पर इलाज का दावा अपलोड करेगा।

इमरजेंसी इलाज के लिए अगर कोई जांच या इलाज CGHS की लिस्ट में नहीं है, तब भी रेफरल की जरूरत नहीं होगी। अस्पताल NHA पोर्टल के जरिए इसकी अनुमति ले सकता है, और इसके लिए लोकल CGHS ऑफिस से कोई अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।

रेफरल के नियमों में हुआ बदलाव-

अब CGHS के माध्यम से मिलने वाले कंलस्टेशन मेमो तीन महीने तक वैलिड (valid) होंगे। अगर कोई CGHS मेडिकल ऑफिसर आपको किसी एक्सपर्ट को रेफर करता है, तो आप उस एक्सपर्ट से तीन महीने के अंदर अधिकतम छह बार कंलस्टेशन ले सकते हैं। अगर प्राइमरी कंलस्टेंट (Primary Contestant) सलाह दे, तो आप दो एक्स्ट्रा एक्सपर्ट से भी सलाह ले सकते हैं। यह नियम सिर्फ CGHS चिकित्सा अधिकारियों के दिए गए रेफरल पर लागू होते हैं। सरकारी अस्पताल के रेफरल पर यह नियम लागू नहीं होंगे।

70 साल से अधिक उम्र के लाभार्थियों के लिए छूट-

जो लाभार्थी 70 साल या उससे अधिक उम्र के हैं, उन्हें अब किसी भी एक्सपर्ट से कंलस्टेशन लेने के लिए रेफरल की आवश्यकता नहीं होगी। इन लाभार्थियों को लिस्टेड अस्पतालों (Listed Hospitals) में किसी भी रजिस्टर जांच या प्रोसेस के लिए सीधे इलाज की अनुमति होगी। हालांकि, अगर कोई जांच या प्रक्रिया CGHS की लिस्ट में नहीं है, तो उसके लिए CGHS अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी।

स्पेशल मामलों के लिए फॉलो-अप नियम-

कुछ स्पेशल बीमारियों से पीड़ित लाभार्थियों को प्राइमरी रेफरल के आधार पर बिना समय सीमा के कंलस्टेशन और जांच की अनुमति होगी। इनमें ये बीमारियां शामिल हैं:

- हृदय शल्य चिकित्सा के बाद के मामले (Post-cardiac surgery cases)

- तंत्रिका संबंधी विकार (Neurological disorders)

- अंग प्रत्यारोपण के बाद के मामले (Post-organ transplant cases)

- अंतिम अवस्था की गुर्दा बीमारी (End-stage renal disease)

- कैंसर का इलाज (Cancer Treatment)

- न्यूरोसर्जरी के बाद के मामले (Post-neurosurgery cases)

- ऑटोइम्यून विकार (Autoimmune disorders)

इन बीमारियों से पीड़ित लोगों को इलाज या जांच के लिए बार-बार रेफरल लेने की जरूरत नहीं होगी।

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