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Tree Farming : खेत में उगाएं ये पेड़, हर महीने होगी लाखों में कमाई

Business Idea :खेती को आजकल बिजनेस का रूप दिया जाने लगा है। खेती करने का पुराना ढंग अब किसी काम का नहीं रहा। इसी कारण लोग अब आधुनिक रूप से हमेशा डिमांड में रहने वाली चीजों की खेती करने लगे हैं। इसी कारण उनको अच्छे भाव भी मिल जाते हैं। इससे किसानों को लाखों-करोड़ों में कमाई (Kmayi Wali Kheti) होती है। यहां पर आपको ऐसी ही एक खेती के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे सही व उचित तरीके से करके किसान मोटी कमाई कर सकते हैं।

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Tree Farming : खेत में उगाएं ये पेड़, हर महीने होगी लाखों में कमाई

My job alarm (ब्यूरो)। आज के समय में खेती करने के तौर तरीके भी बदल गए हैं। कम समय, कम श्रम और लागत में किसान अधिक कमाई कर रहे हैं। यह सब वैज्ञानिक तकनीकों के दम पर आधुनिक रूप से खेती करने से संभव है। खेती को किसान अब बिजनेस का रूप दे रहे हैं। परंपरागत खेती वाली फसलों को छोड़कर किसान नए तरीके से खेती कर रहे हैं। इन्हीं में है यूकेलिप्टस की खेती। इस खेती (Eucalyptus Ki Kheti kaise kren) से आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।

 

 

पूरे देश में कहीं भी कर सकते हैं यह खेती

 

 

नीलगिरी यानी (यूकेलिप्टस) की खेती की खास बात यह है कि पूरे भारत में किसी भी जगह हो सकती है। पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी या रेतीला इलाका, हर जगह इस पेड़ को लगाया जा सकता है। मौसम का भी इस पेड़ पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। यानी हर तरह की जलवायु भी इस खेती (Eucalyptus Ki Kheti krne ka tareeka)के अनुकूल है। इस पेड़ को लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। नीलगिरी के पेड़ की खेती गांवों में अच्छे स्तर पर की जाती है। 

श्रम व लागत भी कम आती है

कई जगह इस खेती (Neelgiri Ki kheti) के बारे में किसानों को सही से नहीं पता, कृषि विशेषज्ञ इसके पीछे किसानों के बीच जागरूकता में कमी बताते हैं। अगर नीलगिरी यानी सफेदे के पेड़ की खेती को सही व उचित तरीके से किया जाए तो बेहद कम वक्त में लाखों-करोड़ों का मुनाफा कमाया (Neelgiri Ki kheti me Fayda) जा सकता है। साथ ही इस पेड़ में अन्य फसलों के मुकाबले मेहनत की आवश्यकता भी नहीं लगती। श्रम,समय व लागत तीनों ही इसमें कम लगते हैं। इसके अलावा नीलगिरी के पेड़ को रखरखाव और देखभाल की खास जरूरत नहीं पड़ती है।

अच्छी गुणवत्ता वाली होती है लकड़ी


नीलगिरी या सफेदे के पेड़ से अच्छी गुणवत्ता वाली इमारती लकड़ी (Neelgiri ki lakdi kaha use hoti h) प्राप्त होती है। इस लकड़ी का उपयोग जहाज बनाने, इमारती खंभे, अथवा फर्नीचर  बनाने में काम आती है। इसकी पत्तियों से एक शीघ्र उडऩेवाला तेल, यूकेलिप्टस तेल, निकाला जाता है जो गले, नाक तथा पेट की बीमारियों या सर्दी जुकाम में औषधि के रूप में काम आता है। इस पेड़ से एक प्रकार का गोंद भी प्राप्त होता है। इतना ही नहीं इन पेड़ों (Eucalyptus ki lakdi ka rate kitna h) की छाल कागज बनाने और चमड़ा बनाने के काम में आती है। इस कारण इस पेड़ की लकड़ी की हमेशा डिमांड रहती है।

नीलगिरी की खेती करने का उचित तरीका

नीलगिरी की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली भूमि की आवश्कता होती है। खेत की जमीन पर पानी रुकना नहीं चाहिए। इस पौधे का विकास बीजों और नर्सरी की कलम दोनों से ही किया जा सकता है। इसके पौधे काफी लंबे होते हैं इसलिए प्राय: इन्हें जमीन में ही रोपा जाता है। इसके बाद इन पौधों की बढ़वार जल्दी होती है। पौधे के सही विकास के लिए इन्हें पर्याप्त मात्रा में सूर्य का प्रकाश, हवा और पानी की पूरी जरूरत होती है।

ये हैं सफेदे की खास किस्में

भारत में सफेदे की मुख्य रूप से 6 प्रजातियां (Varieties of Eucalyptus )पाई जाती हैं। जिनकी अधिकतम उंचाई 80 मीटर तक होती है। अधिक लंबाई होने के कारण इनकी लकड़ी भी महंगी बिकती है। इन किस्मों में नीलगिरी ऑब्लिव्का, नीलगिरी डेलीगेटेंसिस, नीलगिरी डायवर्सीकलर, नीलगिरी निटेंस, नीलगिरी ग्लोब्युल्स और नीलगिरी विमिनैलिस प्रमुख हैं। 

ऐसे तैयार होगी सफेदे की नर्सरी


कृषि अधिकारियों के अनुसार नीलगिरी के पौधे (Neelgiri ka podha kaha milega) को तैयार होने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए पहले इसके लिए नर्सरी तैयार की जाती है और फिर एक साल बाद इसे खेत में लगाया जा सकता है। नर्सरी में सफेदे की पौध तैयार करने के लिए इसके बीजों को पॉलीथीन में उगाया (Neelgiri ki nursery kaise taiyar kren) जाता है। जिसमें गोबर खाद मिली मिट्टी भरी होती है। इसकी पौध 5 से 6 महीने में रोपाई के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन एक साल पुरानी पौध यानी जब यह पूरी तरह से विकसित हो जाए, तभी खेत में लगानी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि उसके बाद यह फटाफट ग्रोथ करेगी।


कम खर्च वाली है सफेदे की खेती

सफेदे की खेती (Safede Ki Kheti) में ज्यादा खर्च नहीं आता । एक हेक्टेयर में इसके करीब 3 हजार पौधे किसान उगा सकते हैं। नर्सरी में ये पौधे 7-8 रुपए में मिल जाते हैं। ऐसे में इनकी खरीद में करीब 22 हजार रुपए का खर्च आता है। अन्य खर्चों को भी जोड़ लिया जाए तो करीब 25 हजार रुपए में एक हेक्टेयर में खेती की जा सकती है।

एक पेड़ देता है 400 किलोग्राम लकड़ी

चार साल के बाद हर पेड़ से करीब 400 किलोग्राम लकड़ी (Safede Ki lakdi) प्राप्त की जा सकती है। इस हिसाब से एक हेक्टेयर में उगाए गए 3000 पेड़ों से करीब 12,00,000 किलोग्राम लकड़ी मिलेगी। यह लकड़ी बाजार में 6 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से आसानी से बिक (Safede Ki lakdi ka rate)जाती है। ऐसे में इसको बेचने पर करीब 72 लाख रुपए कमा सकते हैं। अगर खेती पर होने वाला कुछ और खर्च इस आय में से निकाल दिया जाए तो सफेदे खेती से आप कम-से-कम 60 लाख रुपए 4 साल में (Safede Ki kheti se kamayi) कमा सकते हैं। यह आपकी 15 लाख रुपये प्रति साल की आय हो जाती है। इस हिसाब से हर महीने एक लाख से ऊपर कमा लेंगे।

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