Business Idea : चंदन से भी महंगी है इस पेड़ की लकड़ी, खेती करने वाले हो रहे मालामाल
Tree farming : आजकल परंपरागत खेती को छोड़कर किसान बागवानी व पेड़ों की खेती करने लगे हैं। इससे उनको काफी मुनाफा भी होता है। कई पेड़ ऐसे हैं जिनकी लकड़ी बाजार में काफी महंगे दामों पर बिकती हैं। हर वक्त डिमांड में होने के कारण कई बार मनचाहे रेट भी मिल जाते हैं। गम्हार का पेड़ भी ऐसा ही पेड़ है, जिसकी लकड़ी काफी महंगी होती है। इसकी खेती करके किसान मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
My Job alarm (ब्यूरो)। किसानों के लिए पेड़ की खेती करना वरदान साबित होता जा रहा है। सरकार भी कृषि वानिकी को बढ़ावा दे रही है। पेड़ की खेती करने का यह भी फायदा है कि किसान इनके बीच में अन्य फसलों की खेती कर सकते हैं, चूंकि पेड़ों को लंबी दूरी पर फासला देकर लगाया जाता है। गम्हार (Gamhar) के पेड़ की खेती (Unique Tree farming) भी किसानों को अच्छी कमाई करा रही है। देश में कई राज्यों में इस पेड़ की खेती की जाती है। इसकी लकड़ी कई कार्यों में यूज होती है। आइये जानते हैं इस खेती के बारे में विस्तार से इस खबर में।
इन चीजों में यूज होती है गम्हार की लकड़ी
फर्नीचर, कागज बनाने वाली लुगदी के लिए गम्हार का पेड़ सबसे बेहतर माना जाता है। इसकी लकड़ी (Gamhar Ki Lakdi ka Upyog kaha hota h)के बोर्ड, प्लाईवुड, दरवाजे, पैनलिंग और पेंसिल बनती है। गम्हार को गोमरी या वाइट टीक भी कहा जाता है। यह 15 सालों में 30 मीटर लंबा और 60 सेंटीमीटर चौड़े तने वाला पेड़ बन जाता है। कई बार डिमांड अनुसार इसकी लकड़ी चंदन से भी महंगी बिक जाती है। जहां पानी की सुविधा नहीं होती और मिट्टी कम उपजाऊ होती है वहां यह पेड़ बनने में 25 साल तक का समय ले लेता है। दूसरी ओर उपजाऊ मिट्टी और नियमित रूप से सिंचाई की सुविधा वाले इलाकों में यह 10-12 सालों में ही 30 मीटर तक लंबा हो जाता है।
सिंचाई वाले इलाकों में जल्दी बढ़ता है यह पेड़
किसानों के लिए यह चंदन से भी बढ़कर करोड़ों की कमाई (Gamhar Ki Lakdi Ki Keemat) कराने वाला पेड़ माना जाता है। सामान्य मैदानी इलाकों से लेकर जमीन से 1500 मीटर की ऊंचाई तक के इलाकों में इस पेड़ की बढ़वार आसानी से हो जाती है। ऐसे में इसकी खेती (Gamhar Ki Kheti) भारत के अधिकतर इलाकों में की जा सकती है। गम्हार का पेड़ भारत के साथ साथ म्यांमार, कंबोडिया, चीन और लाओस में भी पाया जाता है और इन देशों में भी यह भारत की तरह ही पहले प्राकृतिक तरीके से उगा करता था, लेकिन इसकी बहुपयोगिता देखते हुए इसे व्यवस्थित तरीके से उगाया जाने लगा।
कई किस्में व रंग रूप का होता है गम्हार का पेड़
भारत में झारखंड और बिहार के इलाकों में इस पेड़ की खेती (Gamhar Ki Kheti Kaise Kren) विशेष रूप से की जाती है। गम्हार की खेती बिजनेस के रूप में भी की जाती है। मध्य प्रदेश में खासकर मंडला, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, कटनी, उमरिया और सिंगरौली जिले में इसे कागज उद्योग की आपूर्ति के लिए उगाया जाता है। मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में इसकी 10 से ज्यादा किस्में देखने को मिलती हैं। हर इलाके का गम्हार का पेड़ दूसरे से कुछ भिन्न रंग रूप का होता है और अलग-अलग उपयोग में आता है।
औषधीय गुणों से भी भरपूर है ये पेड़
गम्हार का पेड़ औषधीय रूप से भी उपयोगी है। इसकी पत्तियों के अलावा, इसकी जड़, छाल, फूल आदि का इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। इसकी पत्तियां घरेलू उपचार में भी उपयोग की जाती हैं। गम्हार के कुछ पेड़ों के बीजों का तेल कड़वा तो कुछ का तेल मीठा होता है। यह कफ, पित्त को नियंत्रित करता है। इसकी पत्तियों का रस मीठा होता है, जो कई कामों में उपयोग में लाया जाता है।
इस पेड़ को उगाने के हैं भविष्य में अच्छे स्कॉप
एक एकड़ में गम्हार के उचित दूरी रखते हुए 500 पेड़ लगाए जा सकते हैं। अगर ये सभी सलामत रहें तो 20 सालों के भीतर ये एक करोड़ रुपए की कमाई (Profitable Cultivation) करा देते हैं। एक मीटर से अधिक चौड़ाई वाले गम्हार के लट्ठे की कीमत करीब 18 से 20 हजार रुपए प्रतिघन मीटर होती है। कीमत के हिसाब से यह कमाई (Gamhar Se Kitni Kmayi Hoti hai)कराने वाला पेड़ है। इस पेड़ की कई तरह से उपयोगिता है, इसलिए इस पेड़ को उगाने के अच्छे स्कॉप हैं।